Wednesday, November 10, 2010

पहली पहली बारिश


पेड़ सिहर उठे,
आसमाँ का दिल धड़क उठा,
पेड़ों के साये थक कर छाँव में बैठ गये,
आफताब नज़रे झुका कर छिप गया,
पपीहा दर्द से पीहू पीहू कर उठा,
उड़ते हुए ख्वाबों की आंधी चली,
कुछ वफ़ा के पेड़ धराशाई हुये,
चंद मोहब्बतों के सूखे पत्ते उड़े,
एक गरीब का झोपड़ा उजड़ गया,
कुछ महलों के दरवाजे बंद हुये...

कुछ यादों के फूल किताब में रख कर,
मेरी कलम ने चंद फ़ुर्कत के नग्मे लिखे,
पंछियों ने हवाओं से कुछ गुफ्तगुं की,
और मेरे दर्द भरे अफसानों से, हो के रूबरू,
हवाओं का रुख पलट गया,
आसमाँ का दिल पिघल उठा,
बादल भी सुनकर रो दिये...

यूँ ही शायद, फिजा की पहली बारिश से,
"अक्स" का दर्द भरा पयाम उन तक पहुँच जाये ...

आमीन...

आनंद ताम्बे "अक्स"

आफताब = सूरज
फ़ुर्कत = विरह, जुदाई
रूबरू = Face-To-Face
पयाम = पैगाम, सन्देश, message

No comments:

Post a Comment