Sunday, October 9, 2011

वो अब ख्वाब में आने लगे


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नामाबर = सन्देशवाहक/Messenger 
रुसवाई = बदनामी
अशआर = शेर की पंक्तियाँ/मतले

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आँधियों के आने से पहले ही, क्यों चिराग बुझाने लगे
उनके रूठ जाने के पहले ही,"अक्स" उन्हें मनाने लगे

अच्छा हुआ जो मैंने एक ख़त का जवाब नहीं दिया 
अगले दिन से वो खुद नामाबर की जगह आने लगे 

पहले ही, दिल मेरा, चुरा लिया एक मुस्कराहट से 
खैर हो अब वो मुझ पर भी अपना हक जताने लगे

कहाँ था नसीब में अपने, हकीक़त में उनसे मिलना 
शुक्र है परवरदिगार का, वो अब ख्वाब में आने लगे

सोचा नहीं था कि, मिलेंगी सैकड़ों रुसवाईयां बाद में 
हर मेहमान को हम,हाले-ए-दिल अपना सुनाने लगे

मिले या ना मिले दाद महफ़िल में ग़ज़ल सुनाने की
हम तो बेफिक्र होकर, अपने अशआर फरमाने लगे 

आनंद ताम्बे "अक्स" 

(c)1997






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