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जज्बात = भावनायें
विसाल/वस्ल = मिलन
फिराक/फ़ुर्कत = विरह,जुदाई
सुर्ख = लाल
रुखसार = गाल
तसव्वुर = कल्पना, ख्याल
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आँखों में समंदर, दिल में चंद जज्बात लिये
कुछ कह जाता था वो, बिना कुछ बात किये
याद आ जाता है एक चेहरा,यार-ए-विसाल की बात पर
आँखों में नमी सी, होठों पे कई मासूम से सवालात लिये
शब्-ए-फिराक में सुर्ख रुखसारों पे झिलमिलाये अश्क क्यूँ
कि पल भर की जुदाई आती है, यूँ बिन बादल बरसात लिये
पूछा किसी ने मुझसे, दिन फ़ुर्कत के गुज़रते हैं किस तरह
दिन कटता है तसव्वुर में उनके,शाम आती है ग़म साथ लिये
शमा को ग़म नहीं इसका, जल गया परवाना था जो
रौशनी-ए-वस्ल में दो दीवाने,कुछ पल तो साथ जिये
चांदनी चाँद से बिछुड़ कर रोई रात भर, सहर ने समझाया उसे
आज शाम के सुर्ख परों से,चाँद आयेगा सितारों की बारात लिये
आनंद ताम्बे "अक्स"
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