Saturday, January 21, 2012

हां, यकीं है मुझे...

हां, यकीं है मुझे...

हां, यकीं है मुझे...
एक चंचल हवा,तेरी ज़ुल्फ़ों को छेड़ जायेगी,
ये चांदनी तुझे, सितारों का आँचल उढाएगी,
अकेले चाँद को,और ग़मगीन सितारों को,
हर आती शब तुम्हें अब गीत मेरे सुनाएगी.

हां, यकीं है मुझे...
मिलोगी तुम मुझे कभी, यूँ ही राहों में,
इस बार ना होंगे जवाब, ठंडी आहों में,
देखोगी तुम मुझे, फिर,कुछ मुस्कुराके,
मिलेंगे दिल, दिल से,बातें होंगी निगाहों में.

हां, यकीं है मुझे...
गुनगुनाओगी तुम ग़ज़ल, बरसात पर मेरी,
हाँ,याद तो बहुत आयेगी,हर बात पर मेरी,
माना, खफा हो बहुत, तुम मुझसे, लेकिन,
अकेले में मुस्कुराओगे, हर बात पर मेरी.

हां, यकीं है मुझे...

आनंद ताम्बे "अक्स"

No comments:

Post a Comment