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कूचा = गली
सबा = हवा
कलीसा = मंदिर
काफिया = तुकबंदी का शब्द
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आज तन्हा हूँ मैं,कोई तो यूँ हमनवा मिले
तू नहीं तो ख़्वाब में,आके तेरा साया मिले
घूमता फिरता हूँ तेरे मिलने की आस लिये
तू नहीं तो, तेरे कूचे की मदहोश सबा मिले
सोचता हूँ,कह दूं, कभी, सारी दिल की बातें
अंजाम जो हो,मुझे जफ़ा मिले या वफ़ा मिले
देख लिया था एक दिन मैंने कुछ मुस्कुराके
क्या पता था अगले दिन वो कुछ ख़फ़ा मिले
ढूँढता हूँ कोई कोना,महफ़िल के आलम में
क्या पता, वहीँ कोई,मेरी तरह तन्हा मिले
काबा हो या कि कलीसा,कर लेता हूँ बंदगी
इस उम्मीद में, कि यूँ ही कभी खुदा मिले
मुददतें गुज़र गईं हैं कई,कुछ मतले लिखे हुये
कोई सूरत ग़ज़ल सी दिखे कोई काफिया मिले
मुस्कुराले "अक्स" तू,कहीं ऐसा न हो
किसी को तेरे चेहरे पे,दर्द लिखा मिले
आनंद ताम्बे "अक्स"
कूचा = गली
सबा = हवा
कलीसा = मंदिर
काफिया = तुकबंदी का शब्द
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आज तन्हा हूँ मैं,कोई तो यूँ हमनवा मिले
तू नहीं तो ख़्वाब में,आके तेरा साया मिले
घूमता फिरता हूँ तेरे मिलने की आस लिये
तू नहीं तो, तेरे कूचे की मदहोश सबा मिले
सोचता हूँ,कह दूं, कभी, सारी दिल की बातें
अंजाम जो हो,मुझे जफ़ा मिले या वफ़ा मिले
देख लिया था एक दिन मैंने कुछ मुस्कुराके
क्या पता था अगले दिन वो कुछ ख़फ़ा मिले
ढूँढता हूँ कोई कोना,महफ़िल के आलम में
क्या पता, वहीँ कोई,मेरी तरह तन्हा मिले
काबा हो या कि कलीसा,कर लेता हूँ बंदगी
इस उम्मीद में, कि यूँ ही कभी खुदा मिले
मुददतें गुज़र गईं हैं कई,कुछ मतले लिखे हुये
कोई सूरत ग़ज़ल सी दिखे कोई काफिया मिले
मुस्कुराले "अक्स" तू,कहीं ऐसा न हो
किसी को तेरे चेहरे पे,दर्द लिखा मिले
आनंद ताम्बे "अक्स"
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