Friday, May 11, 2012

आज होठों पे गीत नया आया है


आज होठों पे गीत नया आया है
फिर हमने कोई दर्द सा छुपाया है...(२ बार)

हुए किस्से पुराने शमा औ परवाने के,
क्या मिला है यूँ वस्ल औ फिराक से,
गुंचा औ गुलखार की क्या कहें
सीखा है हमने तो, कुछ खाक से.

करता है बाते हकीकत की,
एक शायर नया आया है...(२ बार)
आज होठों पे गीत नया आया है
फिर हमने कोई दर्द सा छुपाया है...(१ बार)

दूर नहीं है मजिल तुझसे,
चंद कदम ही मांगे हैं तुझसे,
कुछ ऐसा ही बताते हुए,
रहनुमा ने कहा मुझसे.

तुम्हे पानी है अकेले मंजिल,
मैंने तो सिर्फ रास्ता बताया है...(२ बार)
आज होठों पे गीत नया आया है
फिर हमने कोई दर्द सा छुपाया है...(१ बार)

तुम भुला दो मुझे शायद,
चंद लम्हों का सपना समझकर
"अक्स" बातें करता है यूँ तो,
गैरों को अपना समझकर.

एक मुद्द्त के बाद सही,
"अक्स" फिर मुस्कुराया है...(२ बार)

आज होठों पे गीत नया आया है...(३ बार)

आनंद ताम्बे "अक्स"

Saturday, January 21, 2012

हां, यकीं है मुझे...

हां, यकीं है मुझे...

हां, यकीं है मुझे...
एक चंचल हवा,तेरी ज़ुल्फ़ों को छेड़ जायेगी,
ये चांदनी तुझे, सितारों का आँचल उढाएगी,
अकेले चाँद को,और ग़मगीन सितारों को,
हर आती शब तुम्हें अब गीत मेरे सुनाएगी.

हां, यकीं है मुझे...
मिलोगी तुम मुझे कभी, यूँ ही राहों में,
इस बार ना होंगे जवाब, ठंडी आहों में,
देखोगी तुम मुझे, फिर,कुछ मुस्कुराके,
मिलेंगे दिल, दिल से,बातें होंगी निगाहों में.

हां, यकीं है मुझे...
गुनगुनाओगी तुम ग़ज़ल, बरसात पर मेरी,
हाँ,याद तो बहुत आयेगी,हर बात पर मेरी,
माना, खफा हो बहुत, तुम मुझसे, लेकिन,
अकेले में मुस्कुराओगे, हर बात पर मेरी.

हां, यकीं है मुझे...

आनंद ताम्बे "अक्स"

तेरे जाने के बाद


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शबनम = ओस की बूँदें
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चाँद रोया देर तक तन्हा,तेरे जाने के बाद 
शबनम गवाह है इसकी, तेरे जाने के बाद 

मालूम था बिछुड़ना है,हँसता रहा वो सामने
आँखें नम हो गई उसकी, तेरे जाने के बाद

ग़म के बादल छाये रहे,अश्क बरसे देर तक
कुछ यूँ हुई बरसात अबकी,तेरे जाने के बाद

छोड़ गयीं बूँदें जैसे, कोई बदली सावन की 
आँखों से नमी जाती नहीं,तेरे जाने के बाद 

वो शायर,वो दीवाना,तुझे चाहता था बहुत
मौत हो गई जिसकी, तेरे जाने के बाद

कैद करके दिल को,अल्फाज़ों  ने बढ़ाये फासले ऐसे
कि रुक गये कदम उस मोड़ पर,तेरे जाने के बाद 

मालूम था अंजाम,अपनी दास्तान का होगा यूँ,लेकिन
बिनशर्त इश्क की, रह गयीं बातें अनकही,तेरे जाने के बाद 

आँखें हुईं लाल,फैले काले साये,हुआ रंग दर्द का और भी गहरा,मुस्कुराहटें भी फ़ीकी
इस कदर बदले हैं रंग "अक्स" के,सोचता हूँ,मेरा असली रंग था क्या,तेरे जाने के बाद 

आनंद ताम्बे "अक्स"



Tuesday, January 10, 2012

चलते हैं

ख़्वाब तेरे रात भर,यूँ मेरी आँखों में पलते हैं
होने पर सहर,बन के मेरी ग़ज़ल निकलते हैं

मिलती हैं आँखें,जलता है दिल,झुकती हैं निगाहें
जब बिछड़े हुये ज़माने के, कभी यूँ भी मिलते हैं

शबनम को आँखों में संजोके ढूँढते है तेरे "अक्स" को हम
हाँ, कभी यूँ हीं, इंतज़ार में तेरे,सारे रात दिन निकलते हैं

शाम खुशनुमा सी थी,उनकी आँखों में डूब जाने की चाहत थी
हाय!नज़रें झुका के, ज़रा मुस्कुराके कहना उनका "चलते हैं"

आनंद ताम्बे "अक्स"