शिकायत है उन्हें कि तारीफ़ नहीं करते, तो हम क्या करें
वो जो रोज खूबसूरत, और दिखें, तो ये बंदा भी क्या करे
वो जो रोज खूबसूरत, और दिखें, तो ये बंदा भी क्या करे
आती है चमक आँखों में और, बिजली सी धमक सीने में
अजब है,आवाज(#)यहाँ देर से आये,तो ये बंदा भी क्या करे
अजब है,आवाज(#)यहाँ देर से आये,तो ये बंदा भी क्या करे
एक तो कुछ कहें वो आँखों से मुख़्तसर,इतने में ही,हाय,वो मुस्कुरा दें
एक ही वार में दिल, और दूजे में जबान जाये,तो ये बंदा भी क्या करे
एक ही वार में दिल, और दूजे में जबान जाये,तो ये बंदा भी क्या करे
आनंद ताम्बे "अक्स"
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(#)Light travels faster than sound :P
मुख़्तसर = Brief
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P.S. - Tried writing Gazal after so many days. I am still laughing
at what I had written :P, bouquets and brickbats are welcome:-)