Friday, October 31, 2014

क्या करें!!!

शिकायत है उन्हें कि तारीफ़ नहीं करते, तो हम क्या करें 
वो जो रोज खूबसूरत, और दिखें, तो ये बंदा भी क्या करे 
आती है चमक आँखों में और, बिजली सी धमक सीने में
अजब है,आवाज(#)यहाँ देर से आये,तो ये बंदा भी क्या करे

एक तो कुछ कहें वो आँखों से मुख़्तसर,इतने में ही,हाय,वो मुस्कुरा दें
एक ही वार में दिल, और दूजे में जबान जाये,तो ये बंदा भी क्या करे

आनंद ताम्बे "अक्स"

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(#)Light travels faster than sound :P 
मुख़्तसर = Brief
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P.S. - Tried writing Gazal after so many days. I am still laughing at what I had written :P, bouquets and brickbats are welcome:-)

किधर गये?

जो गुज़ारे थे तेरे साथ,वो ज़माने किधर गये?
अब पूछे है कलम मेरी,वो तराने किधर गये?

जो हम कह पायें तुझसे,वो लफ़्ज़ उतरते थे काग़ज़ पे,  
जो कह जाते थे तुम आँखों से ,वो अफ़साने किधर गये?

वो लम्हे ख़ुशगवार थे, थीं वो बातें अलहदा सी,
खुशियों से चंद रोज़ मिलके,वो वीराने किधर गये?

जलते थे इश्क़ की आग में,बुझ जाते थे मुझसे मिल
पूछती है अब ये शमा भी,अब वो परवाने किधर गये?

कहाँ रुकते थे ठहाके दोस्तों के साथ,आंसू जाने पे भी,   
पूछते हैं अब मयख़ाने भी, वो छलकते पैमाने किधर गये?

क्या जाता है एक रास्ता, खुदा की तरफ, होकर मयख़ाने से,
आते हुए तो देखा था एक मौलवी को,कौन जाने किधर गये?

आनंद ताम्बे "अक़्स"

अलहदा = Different